कोरबा: स्याही मुड़ी में विकास के वादे या अनदेखी की कहानी? RTI से घिरे घोटालों के बीच चुनावी सस्पेंस गहराया

कोरबा छत्तीसगढ़

कोरबा जिले के नगर पालिका निगम वार्ड क्रमांक 45 के ग्राम स्याही मुड़ी में विकास कार्यों की अनदेखी और घोटालों की कहानियां इन दिनों चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं। पांच कार्यकालों में बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों ने यहां शासन किया, लेकिन गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। स्याही मुड़ी के नाम पर वार्ड का नामकरण किया गया, लेकिन विकास के नाम पर केवल वादे ही किए गए।

पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल में RTI कार्यकर्ता वर्धन कुमार भारिया ने पार्षद मद में खर्च किए गए 50 लाख रुपये का विवरण मांगा, जिसमें महीनों की भागदौड़ के बाद भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली। RTI के माध्यम से भ्रष्टाचार छुपाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि अधूरी जानकारी देना और समय बर्बाद करना एक सुनियोजित रणनीति है। वर्धन कुमार ने स्याही मुड़ी के विकास कार्यों में अनियमितता और पारदर्शिता की कमी को उजागर करने का प्रयास किया है।

नगर निगम को बने 25 साल हो गए हैं, लेकिन वार्ड क्रमांक 45 का इतिहास अनदेखी और अधूरे विकास कार्यों से भरा पड़ा है। पहले कार्यकाल में कांग्रेस की अगहन बाई ने सामुदायिक भवन का निर्माण कराया, लेकिन वह अब जर्जर हो चुका है। इसके बाद भाजपा के फिरत साहू ने तीन कार्यकाल तक शासन किया, लेकिन किसी प्रकार के ठोस विकास कार्य नहीं कराए। ग्रामीणों की वर्षों पुरानी मांगों जैसे ठाकुर देव और कोर्स गई के स्थान पर बाउंड्री वॉल और सामुदायिक मंगल भवन के निर्माण को नजरअंदाज किया गया।

भाजपा के तत्कालीन महापौर और वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन में मंत्री रहे लखन देवांगन के कार्यकाल में ग्रामीणों कर और समाज सेवियों के विशेष मांग पर ग्राम में सड़क और बड़े मंच का निर्माण हुआ, उसके बाद ग्राम का विकास वही सीमित रहा।

वर्तमान में भाजपा के पार्षद फिरत साहू के तीसरे कार्यकाल में एक सामुदायिक भवन बनाया गया, लेकिन वह भवन चर्च के नजदीक बनाया गया और उसमें आने-जाने का कोई रास्ता नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह भवन केवल चर्च के लिए बनाया गया और उनकी आवश्यकताओं को दरकिनार कर दिया गया। उनके द्वारा सार्वजनिक कार्य न कर केवल विशेष संप्रदाय और व्यक्ति विशेष कार्य किया जा रहा है ऐसा लगता है कि उनकी रुचि राशन कार्ड बनाने अपने वोटर बढ़ाने और ऐसे कार्य जिनमें उन्हें कमीशन मिल सके में है

अब वर्तमान में चुनाव आते ही तरह-तरह के भूमि पूजन कर लोगों को लालच देने यह पुनः मैदान में आ गए हैं जबकि और
जनप्रतिनिधि सक्रिय हो गए हैं। वर्षों से विकास के नाम पर अनदेखी का सामना कर रहे स्याही मुड़ी के ग्रामीणों के बीच अब असंतोष और नाराजगी साफ दिख रही है। गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव और अधूरे वादों ने जनता का विश्वास तोड़ा है। वहीं, वर्तमान पार्षद फिर से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

इस बार ग्रामीणों का रुख बदला हुआ नजर आ रहा है। वर्षों से उपेक्षा झेल रहे ग्रामीण अब नए विकल्प की तलाश में हैं। वहीं, अन्य उम्मीदवार भी मैदान में उतरने को तैयार हैं, जिससे मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है। क्या जनता पुराने वादों को भूलकर एक बार फिर वर्तमान पार्षद को मौका देगी या बदलाव की लहर इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएगी?

स्याही मुड़ी के इस चुनावी दंगल में विकास और घोटालों की गूंज के बीच जनता का फैसला क्या होगा? यह सवाल हर किसी के मन में है। RTI कार्यकर्ताओं की आवाज, ग्रामीणों का आक्रोश, और उम्मीदवारों की रणनीतियां इस बार चुनाव को बेहद रोमांचक बना रही हैं।

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