छत्तीसगढ़ जनवार्ता
कोरबा । कोरबा से कोयला उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली दशकों पुरानी मानिकपुर खदान के बंद होने के बाद फ्लाई ऐश की डम्पिंग कर समतलीकरण करने के बदले उसी स्थान पर फ्लाई ऐश का पहाड़ खडा किए जाने को गंभीरता से लेते हुए दोषी प्रतिष्ठानों/ संस्थानों व व्यक्तियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई किए जाने की बात पर प्रदेश के पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने केन्द्रीय कोयला मंत्री जी.किशन रेड्डी को पत्र लिखा है। श्री अग्रवाल ने कहा है कि कोरबा में लगातार खराब हो रही वायु गुणवत्ता की वजह से अंचल में अस्थमा, फेफड़े और चर्म रोगियों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है जिसके लिए कोयला खदान प्रबंधकों के अलावा कोरबा में संचालित अनेक ताप विद्युत संयत्र जिम्मेदार हैं।
श्री अग्रवाल ने आगे कहा है कि विद्युत संयंत्रों से उत्सर्जित फ्लाई ऐश का निपटान बड़ी चुनौती जरूर है लेकिन इसके लिए गैर जिम्मेदारीपूर्वक नियमों को ताक पर रखकर उसे कहीं भी खुले में नहीं डम्प किया जा सकता। इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय के दिशा निर्देशों और मानक नियमों का पालन करते हुए राजमार्गों के निर्माण में जरूरत के अनुसार भराव वाले स्थानों पर, बंद हुई खुली अथवा भूमिगत खदानों में भराव के लिए या फिर लो लाईन ऐरिया में समतलीकरण के लिए ही फ्लाई ऐश को डम्प किया जा सकता है। विशाल दायरे में फैली सैकड़ों फिट गहराई वाली मानिकपुर की बंद हुई खदान में इंसानों और पशुओं की जान की सुरक्षा की दृष्टि से फ्लाई ऐश का भराव कर समतलीकरण करने के लिए उपयोग किए जाने की बात थी। लेकिन इस जगह पर सैकड़ों फिट ऊंचा राखड़ का पहाड़ खड़ा हो गया है जो हवा का झोंका चलने पर समूचे क्षेत्र को अपने आगोश में ले लेता है जिसकी वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
श्री अग्रवाल ने आगे कहा कि कोरबा में संचालित ताप विद्युत संयंत्रों से उत्सर्जित फ्लाई ऐश कोे कहीं पर भी खुले में डम्प कर आम नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जाना कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। विगत वर्ष कोरबा प्रवास पर आए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि कोरबा की वायु गुणवत्ता आम नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है और इस पर अंकुश लगाने की दिशा में विद्युत संयंत्रों, खदानों और संबंधित विभाग द्वारा मिलकर काम करना होगा, लेकिन स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि सभी तरफ पूरी लापरवाही बरती जा रही है और यह सब कुछ प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है।
जयसिंह अग्रवाल ने अपने पत्र में इस बात का विशेष उल्लेख किया है कि कोरबा की खराब वायु गुणवत्ता की बात पर्यावरण मंत्रालय ने भी स्वीकार किया है और जारी आंकड़ों में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया है कि कोरबा के हर नागरिक दो अथवा दो से अधिक सिगरेट सेवन करने के समान प्रदूषित वायु अपने फेफडों में लेने के लिए मजबूर हैं। पत्र की प्रतिलिपि केन्द्रीय पर्यावरण मत्री भूपेन्द्र यादव, छ.ग. विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत, कोल इंडिया चेयरमैन पी.एम. प्रसाद, छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन, एस.ई.सी.एल. सीएमडी डॉ. प्रेमसागर मिश्रा व कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत को प्रेषित करते हुए प्रशासनिक अमले व संबंधित विभागों द्वारा निधारित मापदण्डों और नियमों की धज्जियां उड़ाने और कोरबा के आम नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले संस्थानों, प्रतिष्ठानों व अधिकारियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई किए जाने की अपेक्षा की गई है।
श्री अग्रवाल ने आगे कहा है कि विद्युत संयंत्रों से उत्सर्जित फ्लाई ऐश का निपटान बड़ी चुनौती जरूर है लेकिन इसके लिए गैर जिम्मेदारीपूर्वक नियमों को ताक पर रखकर उसे कहीं भी खुले में नहीं डम्प किया जा सकता। इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय के दिशा निर्देशों और मानक नियमों का पालन करते हुए राजमार्गों के निर्माण में जरूरत के अनुसार भराव वाले स्थानों पर, बंद हुई खुली अथवा भूमिगत खदानों में भराव के लिए या फिर लो लाईन ऐरिया में समतलीकरण के लिए ही फ्लाई ऐश को डम्प किया जा सकता है। विशाल दायरे में फैली सैकड़ों फिट गहराई वाली मानिकपुर की बंद हुई खदान में इंसानों और पशुओं की जान की सुरक्षा की दृष्टि से फ्लाई ऐश का भराव कर समतलीकरण करने के लिए उपयोग किए जाने की बात थी। लेकिन इस जगह पर सैकड़ों फिट ऊंचा राखड़ का पहाड़ खड़ा हो गया है जो हवा का झोंका चलने पर समूचे क्षेत्र को अपने आगोश में ले लेता है जिसकी वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
श्री अग्रवाल ने आगे कहा कि कोरबा में संचालित ताप विद्युत संयंत्रों से उत्सर्जित फ्लाई ऐश कोे कहीं पर भी खुले में डम्प कर आम नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जाना कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। विगत वर्ष कोरबा प्रवास पर आए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि कोरबा की वायु गुणवत्ता आम नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है और इस पर अंकुश लगाने की दिशा में विद्युत संयंत्रों, खदानों और संबंधित विभाग द्वारा मिलकर काम करना होगा, लेकिन स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि सभी तरफ पूरी लापरवाही बरती जा रही है और यह सब कुछ प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है।
जयसिंह अग्रवाल ने अपने पत्र में इस बात का विशेष उल्लेख किया है कि कोरबा की खराब वायु गुणवत्ता की बात पर्यावरण मंत्रालय ने भी स्वीकार किया है और जारी आंकड़ों में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया है कि कोरबा के हर नागरिक दो अथवा दो से अधिक सिगरेट सेवन करने के समान प्रदूषित वायु अपने फेफडों में लेने के लिए मजबूर हैं। पत्र की प्रतिलिपि केन्द्रीय पर्यावरण मत्री भूपेन्द्र यादव, छ.ग. विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत, कोल इंडिया चेयरमैन पी.एम. प्रसाद, छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन, एस.ई.सी.एल. सीएमडी डॉ. प्रेमसागर मिश्रा व कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत को प्रेषित करते हुए प्रशासनिक अमले व संबंधित विभागों द्वारा निधारित मापदण्डों और नियमों की धज्जियां उड़ाने और कोरबा के आम नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले संस्थानों, प्रतिष्ठानों व अधिकारियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई किए जाने की अपेक्षा की गई है।